करवा चौथ की रात को पति पत्नी क्या करते हैं यह जानें। karwa chauth ki raat ko pati patni kya karte hai,व्रत के बाद पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को मजबूत करने वाली परंपराओं की पूरी जानकारी पाएं
करवा चौथ की रात को पति पत्नी क्या करते हैं
करवा चौथ भारत के कई राज्यों में बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन, महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए उपवास करती हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि करवा चौथ की रात में पति-पत्नी क्या करते हैं?
करवा चौथ व्रत का पारंपरिक महत्व
करवा चौथ का व्रत बहुत पुराना है। यह महाभारत काल से शुरू हुआ। द्रौपदी ने पांडवों की रक्षा के लिए यह व्रत रखा था।
इस व्रत से पति की आयु लंबी होती है, अखंड सौभाग्य मिलता है और वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। यह व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है।
करवा चौथ उपवास रखने वाली स्त्रियां पतिहित और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रात में चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करती हैं। स्त्रियां 16 शृंगार कर चंद्रमा का दर्शन करती हैं जिसे सौभाग्य का शगुन माना जाता है।
करवाचौथ के पूजा काल में कथा की पाठिक आयोजित की जाती है, जो प्रेम और समर्पण का मार्गदर्शन करती है।
धीरे-धीरे ठंड बढ़ने से भी करवा चौथ का उत्साह समाज में व्यापक होता है। इसे प्रेम और विश्वास की उत्कृष्ट परिक्रिया माना जाता है।
करवा चौथ व्रत का पुलिशेड इथिक प्रदर्शन करता है बहुत ही विशिष्ट महिलाएं जो इसे क्रैतिवली अनुवाद करती हैं।
“परमेश्वर मानने वाली नारी के लिए करवा चौथ व्रत की नारी ने महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र तक अहम रूप से समझा जाता है।”
करवा चौथ व्रत में पतियों की लंबी उम्र की अनुरोधना प्रकरण परिस्थितियों में 20% महिलाएं व्रतों का आकार रखती हैं। कर्तों के दीर्घायु, स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और महिला है – सिस्टम को अनुकरण करने की आवश्यकता है।
प्रमाणरूप ऑक्सो और सौभागप्रद होने वाले 24% नारी अपनी सफलता की दया में कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखती हैं, जो इसे त्यौहार के रूप में मानाया जाता है। पुरुष करवा चौथ की कथा का फाउंडेशन क्लीयर यह बयां करते हैं कि पति-पत्नी के समर्पण की बढ़ती मांग 18% पुरुष ने साभागी होकर पूरे दिन निर्वयस किया है।
करवा चौथ की रात को पति पत्नी क्या करते हैं
करवा चौथ की रात पति और पत्नी एक-दूसरे के लिए विशेष होती है। यह व्रत उनके रिश्ते को मजबूत बनाने का समय है। रात में, वे सुंदर कपड़े पहनकर तैयार होते हैं।
चांद निकलने पर, पत्नी अर्घ्य देती है और पूजा करती है। इसके बाद, पति पत्नी को पानी पिलाते हैं और व्रत तोड़ते हैं। यह प्यारा क्षण होता है, जहां वे चांदनी रात रस्में और लौकिक आरती का आनंद लेते हैं।
इसके बाद, वे परिवार के साथ भोजन करते हैं और उपहार भी देते हैं।
“करवा चौथ की रात दोनों के लिए एक विशेष रात होती है, जिसमें वे अपने रिश्ते को मजबूत करने का प्रयास करते हैं।”
इस रात, पति और पत्नी के बीच खास जुड़ाव होता है। यह व्रत उनके रिश्ते को मजबूत बनाने में मदद करता है।
चंद्र दर्शन और अर्घ्य की विधि
करवा चौथ की रात में, पति-पत्नी चंद्र दर्शन करते हैं। यह बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण है। पत्नी छलनी में चांद के साथ पति को देखती है।
चांद को अर्घ्य दिया जाता है और चंद्र पूजा की जाती है। पति-पत्नी एक साथ खड़े होकर चंद्र दर्शन करते हैं।
चंद्र दर्शन के समय, पूरी अर्घ्य विधि का पालन किया जाता है। इसमें पत्नी पति को खड़ा करती है, चांद को अर्घ्य देती है, और फिर पति को जल पिलाती है।
इस तरह, पति-पत्नी मिलकर व्रत का पारण करते हैं।
चंद्र दर्शन के बाद, व्रत का पारण किया जाता है। पत्नी पति को मुंह खोलने देती है और उसे मीठा खिलाती है।
इस तरह व्रत समाप्त होता है और पति-पत्नी प्रसाद ग्रहण करते हैं।
“चंद्र दर्शन और अर्घ्य विधि कर्वा चौथ व्रत का अभिन्न अंग है, जो पति-पत्नी के मधुर संबंध को और मजबूत करता है।”
शहर | चांद दिखने का समय |
---|---|
दिल्ली | 8:09 PM |
मुंबई | 8:48 PM |
चेन्नई | 8:43 PM |
कोलकाता | 8:46 PM |
करवा चौथ व्रत में पति की भूमिका
करवा चौथ का व्रत महिलाएं रखती हैं। इसका उद्देश्य पति की लंबी उम्र और उनकी सेहत के लिए है। पति का सहयोग इस व्रत में बहुत महत्वपूर्ण है।
विवाहित महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक व्रत रखती हैं। वे भूखी प्यासी रहती हैं। शाम को चंद्रमा के सामने पति को देखकर व्रत खोलती हैं।
इस व्रत का बहुत महत्व है। यह वैवाहिक जीवन में खुशी और परिवार में समृद्धि लाता है। पति और पत्नी के बीच दांपत्य प्रेम और सौहार्द इस व्रत में महत्वपूर्ण है।
व्रत के दौरान पालन करने योग्य नियम
करवा चौथ का व्रत मनाते समय, पवित्रता और धार्मिक नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है। महिलाएं इस दिन पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। वे राक्षि चंद्र दर्शन तक कुछ भी नहीं खाती या पीती हैं।
शारीरिक संबंधों से बचना भी इस व्रत का एक महत्वपूर्ण नियम है। पूरी तरह से साफ-सफाई और पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए। इस दिन भगवान गणपति और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
व्रत के नियमों का पूर्ण पालन न करने से व्रत खंडित हो सकता है।
“व्रत के नियमों का पालन करना महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनकी पवित्रता और धार्मिक श्रद्धा को दर्शाता है।”
व्रत के दौरान पवित्रता और धार्मिक नियमों का पालन करना महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है। इससे न केवल उनकी श्रद्धा और समर्पण को दर्शाया जाता है, बल्कि यह उनके पति और पारिवारिक जीवन के लिए भी अच्छा संकेत होता है।
अंत में, करवा चौथ के व्रत के दौरान लोगों को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से शुद्ध और पवित्र रहना चाहिए। नियमों का पालन न करने से व्रत खंडित हो सकता है, इसलिए इन नियमों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।
सोलह श्रृंगार और पूजन सामग्री
करवा चौथ व्रत में महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। यह एक पारंपरिक रीति है। इस व्रत के लिए, दो करवे, करवा माता की तस्वीर, लाल कपड़ा, फल, रोली, मोली, धान, गेहूं, एक लोटा पानी, एक रूमाल, और एक सारी की आवश्यकता होती है।
वनस्पति पूजन के लिए, बालू या सफेद मिट्टी की वेदी बनाई जाती है। देवताओं को इस पर स्थापित किया जाता है।
शुद्ध घी में आटा सेंककर लड्डू बनाए जाते हैं। नैवेद्य भी तैयार किया जाता है। काली मिट्टी या तांबे के बर्तनों का उपयोग किया जाता है।
इन पुरानी थालियों का उपयोग वनस्पति पूजन में किया जाता है। महिलाएं अपने पति के लिए दुआ मांगती हैं। उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं।
व्रत पूरा करने के लिए, महिलाओं को पवित्रता और शुद्धता बनाए रखना होता है। ब्रह्मामुहूर्त में स्नान करना और गणेश और पार्वती की पूजा करना आवश्यक है। एक पवित्र प्रतिज्ञा भी लेनी होती है।