pati patni ko samband kap banana chaiye-पति पत्नी को संबंध कब बनाना चाहिए – सही समय जानें

पति पत्नी को संबंध कब बनाना चाहिए – जानें शारीरिक संबंध बनाने का सही समय pati patni ko samband kap banana chaiyeऔर महत्वपूर्ण बातें। एक स्वस्थ वैवाहिक जीवन के लिए यह जानकारी बहुत जरूरी है।

पति पत्नी को संबंध कब बनाना चाहिए – सही समय जानें

क्या आप जानते हैं कि शास्त्रों और धार्मिक कथाओं के अनुसार पति-पत्नी के बीच संबंध बनाने के लिए कुछ विशिष्ट तिथियां और दिन शुभ माने जाते हैं? यह जानना आपके दाम्पत्य जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है?

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प्राचीन काल से ही हमारे धर्म और संस्कृति में कुछ नियम और मान्यताएं चली आ रही हैं। ये नियम पति-पत्नी के बीच मजबूत और स्वस्थ वैवाहिक संबंध बनाने में मदद करते हैं। इन नियमों का पालन करना आपके आध्यात्मिक जीवन के साथ-साथ संतान प्राप्ति और लोक-परलोक के लिए भी महत्वपूर्ण है।

पति-पत्नी के बीच संबंधों का महत्व और धार्मिक दृष्टिकोण

स्त्री-पुरुष का आकर्षण सृष्टि का एक सच्चा सत्य है। शास्त्रों के अनुसार, वैवाहिक बंधन में बंधे जोड़े का संगम पवित्र है। समाज के लिए वैवाहिक बंधन बहुत महत्वपूर्ण है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुछ विशेष दिनों में संबंध बनाने से बचना चाहिए। इससे वैवाहिक जीवन सुखी और स्थिर रहता है।

यौन शिक्षा और वैवाहिक संबंधों पर धार्मिक मान्यताएं बहुत प्रभावी हैं। धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि कुछ विशेष तिथियों पर संबंध न बनाना चाहिए।

इन दिनों में संबंध बनाने से जीवनसाथी के साथ संबंध खराब हो सकते हैं। इससे वैवाहिक जीवन प्रभावित होता है।

शास्त्रों के अनुसार, वैवाहिक बंधन में बंधे स्त्री-पुरुष का संगम पवित्र माना जाता है।

पति-पत्नी को जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों में एक-दूसरे के साथ रहना चाहिए। धर्मशास्त्रों में इन दिनों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

इस तरह, लोग इन दिनों संबंध न बनाएं। इससे परिवार में शांति और सौहार्द बना रहता है।

वैवाहिक जीवन में शारीरिक संबंधों का महत्व

दाम्पत्य जीवन में शारीरिक संबंध बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये प्रजनन स्वास्थ्य और जनन क्षमता के लिए जरूरी हैं। यह पति-पत्नी के बीच भावनात्मक संबंधों को भी मजबूत करता है। धर्मग्रंथों में इसके लिए विशिष्ट निर्देश दिए गए हैं।

शास्त्रों के अनुसार, कुछ विशिष्ट तिथियों और नक्षत्रों में शारीरिक संबंध से बचना चाहिए। इन नियमों का पालन करने से संतान के जीवन और स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसलिए, दाम्पत्य जीवन में शारीरिक संबंधों का सही समय और तरीका चुनना बहुत महत्वपूर्ण है।

“शास्त्रों के अनुसार, कुछ तिथियों, नक्षत्रों और दिनों में शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए।”

दाम्पत्य जीवन में शारीरिक संबंध

उदाहरण के लिए, नवरात्रि और श्राद्ध पक्ष में शारीरिक संबंधों से बचना चाहिए। इन समयों में शारीरिक संबंध बनाने से धार्मिक नियमों का उल्लंघन होता है। यह संतान के लिए भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसलिए, वैवाहिक जीवन में शारीरिक संबंधों का सही प्रबंधन करना बहुत जरूरी है।

pati patni ko samband kap banana chaiye – शास्त्रों के अनुसार शुभ समय

हिंदू धर्म में पति-पत्नी के बीच का समय बहुत महत्वपूर्ण है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुछ विशेष समय शुभ माने जाते हैं। इन समयों में संबंध बनाने से वैवाहिक जीवन सुखी और सौहार्दपूर्ण होता है।

इसके अलावा, संतान प्राप्ति की संभावना भी बढ़ जाती है।

लेकिन, कुछ विशेष दिनों और तिथियों में संबंध बनाने से बचना चाहिए। पूर्णिमा और अमावस्या के दिन, चतुर्थी और अष्टमी तिथि पर, श्राद्ध पक्ष में, नवरात्रि के दौरान और संक्रांति के दिन संबंध बनाना निषिद्ध है।

इन दिनों पर शारीरिक पवित्रता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखना होता है।

इसलिए, पति-पत्नी को ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ समय का ध्यान रखना चाहिए। इससे उनका संबंध मजबूत होगा और संतान प्राप्ति की संभावना भी बढ़ेगी।

शुभ समय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध बनाने का एक विशिष्ट समय होता है जब इससे वैवाहिक जीवन में सुख और सौहार्द बना रहता है।

अमावस्या और पूर्णिमा के दिन संबंधों का निषेध

हिंदू धर्म के अनुसार, पूर्णिमा और अमावस्या के दिन पति-पत्नी को संबंध नहीं बनाना चाहिए। इन दिनों नकारात्मक शक्तियां अधिक होती हैं। इससे वैवाहिक जीवन, करियर और संतान पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, झारखंड और राजस्थान में सावधानी बरतनी चाहिए। इन दिनों एक-दूसरे से दूर रहना बेहतर है।

हिंदू धर्म में इन दिनों संबंध बनाने की सलाह नहीं दी जाती है। नकारात्मक ऊर्जाएं होती हैं जो रिश्ते और संतान को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

“अमावस्या और पूर्णिमा के दिन पति-पत्नी को एक-दूसरे से दूर रहना चाहिए, क्योंकि इन दिनों नकारात्मक ऊर्जाएं प्रबल होती हैं और इससे वैवाहिक जीवन, करियर व संतान पर बुरा असर पड़ता है।”

इन दिनों शारीरिक संबंधों से दूर रहने से पारिवारिक जीवन और आध्यात्मिक कल्याण सुधर सकता है।

अमावस्या और पूर्णिमा

नवरात्रि के दौरान संबंधों का निषेध

नवरात्रि के दौरान पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध निषिद्ध होता है। इस समय, मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। घरों में कलश स्थापना और व्रत रखना एक महत्वपूर्ण परंपरा है।

शास्त्रों के अनुसार, इस समय पवित्रता और देवताओं के प्रति समर्पण महत्वपूर्ण है।

नवरात्रि में शारीरिक संबंध बनाने से देवता नाराज हो सकते हैं। इससे घर में कलह हो सकती है। इसलिए, इन नौ दिनों में वैवाहिक जीवन में शारीरिक संबंध निषिद्ध है।

नवरात्रि के दौरान संबंधों का निषेध

नवरात्रि के समय पति-पत्नी अपने रिश्ते को मजबूत बनाने का मौका मिलता है। इस समय, उपवास, पूजा-पाठ और सत्संग में समय बिताना महत्वपूर्ण है।

श्राद्ध पक्ष में संबंधों पर प्रतिबंध

श्राद्ध पक्ष या पितृ पक्ष के 15 दिनों में पितर पृथ्वी पर आते हैं। इस समय, लोग पितरों की शांति के लिए पूजा और हवन करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस समय पति-पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए।

ऐसा करने से पितर नाराज हो सकते हैं और घर में अशांति फैल सकती है। श्राद्ध पक्ष के दौरान, पति-पत्नी को संयम से रहना चाहिए। इससे पितरों को कोई असुविधा नहीं होगी।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, “पितृ पक्ष के दौरान पति-पत्नी को शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए क्योंकि यह पितरों को नाराज कर सकता है और घर में अशांति फैला सकता है।”

भारत के कई राज्यों में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व है। इन राज्यों में लोग पितरों की शांति के लिए विभिन्न रीति-रिवाजों का पालन करते हैं।

श्राद्ध पक्ष

समग्र रूप से, श्राद्ध पक्ष के दौरान पति-पत्नी को संयम से रहना चाहिए। यह धार्मिक मान्यताओं के अनुसार है। इस समय में धार्मिक आचरण का पालन करना महत्वपूर्ण है।

संक्रांति के दिन संबंधों का प्रभाव

संक्रांति का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाता है। शास्त्रों में इस दिन स्नान, ध्यान और दान का बहुत महत्व है।

हिंदू धर्म में, इस दिन पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से उनके रिश्ते खराब हो सकते हैं। इससे जीवन में कई समस्याएं हो सकती हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखना जरूरी है। पति-पत्नी के बीच नजदीकी इस दिन सही नहीं है। ऐसा करने से जोड़े और परिवार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

“वैवाहिक जीवन में संक्रांति के दिन शारीरिक संबंध बनाना शास्त्रों के अनुसार अशुभ माना जाता है। इससे व्यक्ति और परिवार को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।”

इसलिए, संक्रांति के दिन पति-पत्नी को शारीरिक संबंध से परहेज करना चाहिए। इससे उनके रिश्ते और परिवार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन शुद्धता और पवित्रता का पालन करना महत्वपूर्ण है।

व्रत और उपवास के दिनों में निषेध

हिंदू धर्म में व्रत और उपवास बहुत महत्वपूर्ण हैं। व्रत के दिन, शुद्धता और पवित्रता का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

चाहे स्त्री हो या पुरुष, पुण्य तिथियों और उपवास के दिन शारीरिक संबंध बनाना उचित नहीं माना जाता है। उदाहरण के लिए, कर्वा चौथ के दिन महिलाएं अपने पतियों के लंबी आयु और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। ऐसे पवित्र दिनों में शारीरिक संबंध स्थापित करना धार्मिक दृष्टि से उपयुक्त नहीं माना जाता।

नवरात्रि, श्राद्ध पक्ष और संक्रांति जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों के समय भी संबंधों पर प्रतिबंध लगाया जाता है।

“पुण्य तिथियों और उपवास के दिन शारीरिक संबंध बनाना उचित नहीं माना जाता है।”

इसलिए, व्रत और उपवास के दिनों में शारीरिक संबंधों से दूर रहना महत्वपूर्ण है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य प्रथा है। यह परिवार और समाज के लिए उपयोगी है।

चतुर्थी और अष्टमी तिथि का महत्व

भारतीय संस्कृति में चतुर्थी और अष्टमी बहुत महत्वपूर्ण हैं। पुराणों में यह बताया गया है कि इन दिनों पति-पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए। ऐसा करने से संतान और करियर पर बुरा असर पड़ सकता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इन दिनों शारीरिक संबंध बनाने से अशुभ हो सकता है। इसलिए, इन दिनों एक-दूसरे से दूर रहना और धार्मिक कर्तव्यों पर ध्यान देना जरूरी है।

महर्षि मुनियों की मान्यतानुसार, किसी भी माह की चतुर्थी और अष्टमी तिथि पर पति-पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए।

इन तिथियों पर शारीरिक संबंध बनाने से संतान और करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, पति-पत्नी को इन दिनों एक-दूसरे से दूर रहना चाहिए और धार्मिक कर्तव्यों पर ध्यान देना चाहिए।

रविवार को संबंधों का निषेध

पुराणों और शास्त्रों के अनुसार, रविवार के दिन पति-पत्नी एक-दूसरे से दूर रहना चाहिए। इस दिन रविवार को सूर्य देव की पूजा का दिन माना जाता है। इसलिए, इस दिन संयम बरतना जरूरी है।

वैवाहिक जीवन पर इस दिन शारीरिक संबंध बनाने से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रविवार को दंपती को एक-दूसरे से दूर रहना चाहिए।

इस दिन किए गए शारीरिक संबंध नए जीवन के लिए शुभ नहीं माने जाते हैं। रविवार को सूर्य देव की पूजा और उनका सम्मान करने का दिन है। इस दिन मनोरंजन और भोग-विलास से दूर रहने की सलाह दी जाती है।

“रविवार को सूर्य देव की पूजा का दिन होता है, इसलिए इस दिन संयम बरतना चाहिए और पति-पत्नी को एक-दूसरे से दूर रहना चाहिए।”

वैसे भी, वैवाहिक जीवन में किसी भी दिन संबंधों के लिए निर्धारित शुभ समय और अशुभ समय का ख्याल रखना चाहिए। धार्मिक आस्था के अनुसार, कुछ दिनों और तिथियों को वैवाहिक संबंधों के लिए अनुपयुक्त माना जाता है।

शारीरिक संबंधों के लिए शुभ समय और तिथियां

हिंदू धर्म और ज्योतिष शास्त्र में कुछ विशेष समय हैं। ये समय पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध बनाने के लिए शुभ माने जाते हैं। इन समयों में संबंध बनाने से स्वस्थ और गुणी संतान प्राप्त होती है।

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, झारखंड और राजस्थान में ये समय जाने जाते हैं।

गर्भावस्था के दौरान विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है। डॉक्टर की सलाह का पालन करना जरूरी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चतुर्दशी, एकादशी और कुछ अन्य खास तिथियां शुभ मानी जाती हैं।

इन तिथियों पर संबंध बनाने से संतान स्वस्थ और गुणी होती है। अशुभ दिनों पर गर्भधारण से संतान पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव पड़ सकता है।

पारिवारिक नियोजन और प्रजनन स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए संबंध बनाना चाहिए। श्राद्ध पक्ष, नवरात्रि, सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण जैसे दिन अशुभ माने जाते हैं। इन दिनों शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए।

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