2. परदे के पीछे का संघर्ष:
- कंटेंट का लगातार दबाव: हर दिन, हर घंटे नया, फ्रेश और एंगेजिंग कंटेंट बनाना उनकी मजबूरी है। यह एक नॉन-स्टॉप जॉब है, जहां ‘ऑफ’ बटन दबाने का लक्ज़री नहीं होता। क्रिएटिव बर्नआउट एक बहुत रियल चैलेंज है।
- 24×7 ‘ऑन’ रहना: उनका जीवन एक पब्लिक प्रोपर्टी बन जाता है। निजी पल, परिवार के साथ समय, यहां तक कि बीमारी में भी उन्हें सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने का दबाव महसूस होता है। हर एक्टिविटी पोटेंशियल कंटेंट बन जाती है।