duniya kisne banai hai? इस रहस्यमय प्रश्न के उत्तर जानें। धार्मिक, वैज्ञानिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से समझें सृष्टि की उत्पत्ति और विकास की कहानी।
duniya kisne banai hai? जानें रहस्यमय सृष्टि
दुनिया किसने बनाई है? यह प्रश्न सदियों से मनुष्य को परेशान करता आया है। विज्ञान और दर्शन के दृष्टिकोण से सृष्टि की उत्पत्ति को समझना जरूरी है।
डॉ. ओमप्रकाश पांडे का मानना है कि सृष्टि विज्ञान के दो पहलू हैं। एक, सृष्टि क्या है? दूसरा, सृष्टि का आरंभ कैसे हुआ?
आधुनिक विज्ञान मानता है कि सृष्टि 13.7 अरब वर्ष पहले बिग बैंग से शुरू हुई। लेकिन उससे पहले क्या था, इसका उत्तर विज्ञान नहीं दे सकता।
भारतीय दार्शनिक परंपरा में वेदांत और उपनिषदों में सृष्टि के उत्पत्ति के विस्तृत विवरण हैं।
ब्रह्मांड की उत्पत्ति: विज्ञान और दर्शन की दृष्टि
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, ब्रह्मांड का जन्म बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार 13.7 अरब वर्ष पूर्व हुआ। इस समय, एक विशाल विस्फोट ने पदार्थ को आकार दिया। इस विस्फोट के बाद, विज्ञान की यात्रा शुरू हुई। लेकिन, इससे पहले की घटनाओं पर विज्ञान चुप्पी साधे हुए है।
विज्ञान का नजरिया: बिग बैंग सिद्धांत
वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्रह्मांड बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार बना। इस सिद्धांत के अनुसार, ब्रह्मांड एक सघन बिंदु से शुरू हुआ। धीरे-धीरे, यह विकसित होकर आज के रूप में आया।
दार्शनिक दृष्टिकोण: वेदांत और उपनिषदों का सिद्धांत
भारतीय दर्शन में, वेदांत और उपनिषदों में ब्रह्मांड का दार्शनिक विवरण मिलता है। इन ग्रंथों में ब्रह्मांड को क्षर जगत और अक्षर ब्रह्म के रूप में दिखाया गया है। वेदांत और उपनिषदों का सिद्धांत ब्रह्मांड की विविधता में एकता को अक्षर ब्रह्म कहता है। ऋषियों ने आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के बाद, ब्रह्मांड की गुत्थियों को समझ लिया।
इस प्रकार, ब्रह्मांड की उत्पत्ति पर विज्ञान और दर्शन के बीच अंतर है। विज्ञान बिग बैंग सिद्धांत पर आधारित है, जबकि भारतीय दर्शन वेदांत और उपनिषदों के सिद्धांत से ब्रह्मांड की उत्पत्ति और संरचना का विस्तृत विवरण देता है।
सृजन का रहस्य: वेदों के प्रमाण
वेदों में सृष्टि के रहस्य को विस्तार से बताया गया है। ऋग्वेद, अथर्ववेद और यजुर्वेद जैसे प्राचीन ग्रंथों में सृष्टि की उत्पत्ति के बारे जानकारी है। यह जानकारी विज्ञान के नवीनतम सिद्धांतों से भी मेल खाती है।
ऋग्वेद में बताई गई सृष्टि की उत्पत्ति
ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 90 मंत्र 1, 2, 3, 4, 5, 15, 16 में सृष्टि की उत्पत्ति का वर्णन है। इसमें कहा गया है कि पहले केवल अव्यक्त ब्रह्म था। फिर उसने अपने तेज से ब्रह्मा, विष्णु और महेश जैसे देवताओं को बनाया।
इसी तरह, अथर्ववेद काण्ड नं. 4 अनुवाक नं. 1 मंत्र नं. 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 और यजुर्वेद अध्याय 5, मन्त्र 1; यजुर्वेद अध्याय 1, मन्त्र 15 में भी सृष्टि की उत्पत्ति का वर्णन है। वेदों में सृष्टि रचना के प्रमाण मिलते हैं।
विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में सृष्टि के रचनाकार के रूप में भिन्न-भिन्न देवताओं का उल्लेख है। कुछ ब्रह्मा को, कुछ विष्णु को और कुछ शिव को मानते हैं। कुछ किसी विशिष्ट सृष्टिकर्ता का उल्लेख नहीं करते।
परमात्मा कविर्देव: विश्व निर्माता
वेदों में परमात्मा को कविर्देव या विश्व निर्माता कहा गया है। उन्होंने संपूर्ण सृष्टि बनाई है। वेदों में कहा गया है कि परमात्मा ने अपने तेज से सब कुछ बनाया।
वह अव्यक्त ब्रह्म से व्यक्त होकर सृष्टि बनाते हैं। इस तरह, वेदों में परमात्मा को सृष्टि का कर्ता माना गया है।
पवित्र अथर्ववेद के आधार पर, 4 अनुवाकों में 7 मंत्र हैं। इनमें परमात्मा के सर्वोच्च स्वरूप का विस्तार से वर्णन है।
अथर्ववेद कांड नं. 4 अनुवाक नं.1 में मंत्र नं. 1 के अनुसार, परमात्मा को संपूर्ण ब्रह्मांडों के निर्माता के रूप में वर्णित किया गया है।
“परमात्मा ने अपने ज्ञान से सृष्टि की धारणा की है,” जैसा कि कांड नं.4 अनुवाक नं.1 मंत्र नं. 3 में उल्लेख किया गया है।
इस प्रकार, वेदों में परमात्मा को सृष्टि का कर्ता और विश्व का निर्माता माना गया है।
धर्मग्रंथों में दी गई सृष्टि रचना
हिन्दू धर्म और इस्लाम धर्म में सृष्टि की उत्पत्ति के बारे में जानकारी है। हिन्दू धर्म में सृष्टि की उत्पत्ति के अनुसार, सर्वप्रथम अव्यक्त ब्रह्म था। यह ब्रह्म अपने तेज से ब्रह्मा, विष्णु और महेश को बनाया। ये तीन देवता सृष्टि को बनाने, संरक्षित करने और नष्ट करने में मदद करते हैं। 2024 duniya kisne banai hai new
हिन्दू धर्म में सृष्टि की उत्पत्ति
वेदों के अनुसार, सृष्टि रचना में सत्, असत्, वायु, प्रकाश जैसे तत्व शामिल हैं। संत रामपाल, महर्षि दयानंद और अन्य ने भी सृष्टि की जानकारी दी है।
इस्लाम धर्म का सिद्धांत
इस्लाम धर्म में भी सृष्टि के उद्भव का स्पष्ट सिद्धांत है। इसमें एक शक्तिशाली परमेश्वर अल्लाह ने सृष्टि बनाई। कुरान के अनुसार, अल्लाह ने अकेले आकाश, पृथ्वी और सभी प्राणियों को बनाया।
इस प्रकार, धार्मिक ग्रंथों में हिन्दू धर्म और इस्लाम धर्म के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति के बारे में जानकारी है। यह दोनों धर्म एक ही बात कह रहे हैं।
“सभी धर्मों में एक ही सर्वशक्तिमान परमात्मा द्वारा सृष्टि की रचना का वर्णन है।”
दुनिया किसने बनाई है?
दुनिया का निर्माण किसने किया, यह प्रश्न हर धर्म में अलग-अलग तरीके से पूछा जाता है। हिंदू, इस्लाम, ईसाई और सिख धर्मों के पवित्र ग्रंथों में सृष्टि की उत्पत्ति के बारे विस्तार से बताया गया है। ये सभी ग्रंथ एक सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा दुनिया की रचना की कहानी बताते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी, बिग बैंग सिद्धांत इन धार्मिक सिद्धांतों का समर्थन करता है।
इस प्रकार, सभी धर्मों के पवित्र ग्रंथ दुनिया के निर्माण के प्रमाण देते हैं। यह स्पष्ट करते हैं कि दुनिया का निर्माण किसी परमात्मा या ईश्वर द्वारा हुआ है।
लेकिन, कुछ लोग भगवान इस दुनिया के निर्माता नहीं हैं मानते हैं। कर्म और प्रभाव का विश्वास रखने वाले भी हैं, जिन्हें भगवान की भूमिका पर सवाल हैं।
इसलिए, दुनिया के निर्माण के बारे में विभिन्न दृष्टिकोण हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण में बिग बैंग सिद्धांत महत्वपूर्ण है, जबकि धार्मिक दृष्टिकोण में सर्वशक्तिमान परमेश्वर की भूमिका मानी जाती है।2024new duniya kisne banai hai
ब्रह्मांड का आरंभ और अंत
धर्मग्रंथों और वैज्ञानिक सिद्धांतों में ब्रह्मांड के आरंभ और अंत के बारे में जानकारी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्रह्मांड का आरंभ 13.7 अरब वर्ष पहले बिग बैंग से हुआ। धर्मग्रंथों में ब्रह्मांड की उत्पत्ति और संरचना का विस्तृत वर्णन है।
इन ग्रंथों में ब्रह्मांड की आयु और विस्तार का भी उल्लेख है।
ब्रह्मांड की आयु और विस्तार
हिन्दू धर्म के अनुसार, ब्रह्मांड का एक दिन (कल्प) लगभग 4.32 अरब वर्ष होता है। वैज्ञानिक अनुसंधानों से पता चलता है कि ब्रह्मांड की आयु लगभग 13.787 ± 0.02 अरब वर्ष है। इसका व्यास लगभग 93 अरब प्रकाश वर्ष है।
इस प्रकार, धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ब्रह्मांड के आरंभ और अंत के बारे में जानकारी मिलती है।
“ब्रह्मांड का आरंभ लगभग 13.7 अरब वर्ष पहले हुआ था और यह अभी भी लगातार विस्तार पर है।”
वैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुसार, ब्रह्मांड का आरंभ एक बिग बैंग से हुआ। यह लगातार विस्तार पर है। ब्रह्मांड का आकार और आयु के बारे में धर्मग्रंथों और वैज्ञानिक अनुसंधानों में मेल है।
ईश्वर का अस्तित्व: विज्ञान और धर्म की दृष्टि
विज्ञान और धर्म दोनों ईश्वर के बारे में अलग-अलग सोचते हैं। हिन्दू धर्म में एकेश्वरवाद, बहुईश्वरवाद और अद्वैतवाद जैसे विचार हैं। ईसाई धर्म में भगवान को त्रित्व में माना जाता है। इस्लाम में अल्लाह को सबसे बड़ी शक्ति माना जाता है।
वैज्ञानिकों के बीच ईश्वर के बारे में विचार भिन्न होते हैं। 2005 में अमेरिकी विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों में से 48% ने धार्मिक विश्वास दिखाया। 75% ने कहा कि धर्म सत्य प्रकट करता है।
धर्म दर्शन में ईश्वर के अस्तित्व पर विवाद है। प्राकृतिक ईश्वरवाद और नास्तिकता जैसे दार्शनिक विचार हैं। ये विचार ईश्वर के अस्तित्व के तर्कसंगत आधार की तलाश करते हैं। 2024 duniya kisne banai hai