भारत में सबसे पहले चंद्रमा पर कौन गया था chand par sabse pehle kaun gaya? जानें अपोलो 11 मिशन की कहानी, नील आर्मस्ट्रांग और बज़ एल्ड्रिन के ऐतिहासिक कदम और चंद्रमा पर मानव की पहली यात्रा के बारे में।
चांद पर सबसे पहले कौन गया – जानिए पूरी जानकारी
क्या आप जानते हैं कि चंद्रमा पर पहला कदम कौन लिया? यह जानकारी आपको यहां मिलेगी। २० जुलाई १९६९ को, अमेरिका के अपोलो ११ मिशन के नील आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा पर कदम रखा। उनका नाम इतिहास में अमर हो गया।
आर्मस्ट्रांग के साथ, अपोलो ११ में बज़ एल्ड्रिन और माइकल कॉलिंस भी थे। आर्मस्ट्रांग चंद्रमा पर पहले व्यक्ति बने। उनका यह कदम “मानवजाति के लिए छोटा सा कदम लेकिन महान छलांग” कहा गया।
नील आर्मस्ट्रांग का परिचय
जन्म, शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
नील आर्मस्ट्रांग का जन्म 5 अगस्त, 1930 को ओहायो के वेपकॉनेटा में हुआ था। उनके पिता स्टीफेन आर्मस्ट्रांग ओहायो सरकार के लिए काम करते थे। इसलिए, आर्मस्ट्रांग परिवार कई कस्बों में रहता था।
छोटे नील आर्मस्ट्रांग को पाँच साल की उम्र में हवाई यात्रा का अनुभव हुआ। उन्होंने 16 वर्ष की आयु में स्टूडेंट फ्लाइट सर्टिफिकेट हासिल किया। नील आर्मस्ट्रांग ने 1948 में एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की।
नौसेना में रहते हुए उन्होंने कोरियाई युद्ध में उड़ानें भरीं। नील आर्मस्ट्रांग की जीवनी और उनके जीवन के प्रारंभिक दिनों के बारे में यह जानकारी हमारे लिए महत्वपूर्ण है।
नौसेना में करियर
नील आर्मस्ट्रांग ने नौसेना में एक महत्वपूर्ण कैरियर बनाया। उन्होंने १९४९ में नौसेना में शामिल हुए। उन्होंने १८ महीने तक प्रशिक्षण लिया।
उनकी उम्र २० वर्ष होने पर, उन्होंने नेवल एविएटर (नौसेना पाइलट) का दर्जा प्राप्त किया। नौसेना में नील आर्मस्ट्रांग ने कोरियाई युद्ध में ७८ मिशनों पर उड़ान भरी। उन्होंने १२१ घंटे हवा में बिताए।
उन्हें कई पुरस्कार मिले। युद्ध के दौरान उन्हें ‘एयर मेडल’, ‘गोल्ड स्टार’ और कोरियन सर्विस मेडल से सम्मानित किया गया।
१९५२ में, नील आर्मस्ट्रांग नौसेना में कार्यकाल के बाद, उन्होंने लेफ़्टिनेंट (जूनियर ग्रेड) के रूप में रिजर्व में जाने का फैसला किया। १९६० में उन्होंने नौसेना से सेवानिवृत्ति ली।
“मैं बच्चों को प्रेरित करना चाहता हूं कि वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करें। चंद्र पर पहुंचना सपना था, लेकिन उसे साकार करने के लिए मेरे पास कड़ी मेहनत करनी पड़ी।”
नील आर्मस्ट्रांग ने नील आर्मस्ट्रांग कोरियाई युद्ध में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके पुरस्कार ने उनके अंतरिक्ष कार्यक्रम को मजबूत किया। उनका अनुभव NASA में उनके योगदान को और भी प्रभावशाली बनाया।
NASA और जेमिनी मिशन
नील आर्मस्ट्रांग का अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़ाव १९५८ में शुरू हुआ। उस समय उन्हें अमेरिकी एयर फ़ोर्स ने “मैन इन स्पेस सूनसेट प्रोग्राम” के लिए चुना। इसके बाद, १९६० में उन्हें ऍक्स-२० डाइना-सो’र के टेस्ट पायलट के रूप में चुना गया। १९६२ में उन्हें सात पायलटों में से एक बनाया गया।
जेमिनी 8 और जेमिनी 11
नील आर्मस्ट्रांग और डेविड स्कॉट ने जेमिनी ८ मिशन में दो यानों को जोड़ने का कारनामा किया। लेकिन इस दौरान तकनीकी समस्या आई थी। जेमिनी ११ मिशन में नील आर्मस्ट्रांग बैकअप कमांडर थे।
मिशन | भूमिका | वर्ष |
---|---|---|
जेमिनी 8 | कमांडर | १९६६ |
जेमिनी 11 | बैकअप कमांडर | १९६६ |
इस तरह नील आर्मस्ट्रांग ने नासा के साथ और जेमिनी मिशन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
चंद्र पर सबसे पहले कदम रखने वाला व्यक्ति
२० जुलाई, १९६९ को नील आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा पर उतरने का ऐतिहासिक काम किया। उन्होंने अपने साथी बज़ एल्ड्रिन के साथ चंद्रमा पर दो घंटे बिताए। उन्होंने लगभग २१.५ किलो वजन की चट्टानें और मिट्टी एकत्रित की।
नील आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा पर कदम रखते हुए कहा था – “ये मानवजाति के लिए छोटा सा कदम लेकिन महान छलांग है“। यह घटना मानव इतिहास में एक अविस्मरणीय पल था। अपोलो ११ मानव चंद्रावरण का यह एक अभूतपूर्व उपलब्धि थी।
“ये मानवजाति के लिए छोटा सा कदम लेकिन महान छलांग है।”
– नील आर्मस्ट्रांग
नील आर्मस्ट्रांग चंद्रमा पर पहला कदम रखने वाले पहले व्यक्ति के रूप में, उनका नाम सदा याद रखा जाएगा। उनका यह कृत्य अमेरिका के लिए नहीं बल्कि पूरी मानवजाति के लिए गर्व का विषय है।
अपोलो 11 मिशन
अपोलो 11 मिशन में नील आर्मस्ट्रॉंग, बज़ एल्ड्रिन और माइकल कॉलिंस शामिल थे। ईगल लूनर मॉड्यूल में नील और बज़ चंद्रमा पर उतरे। माइकल कॉलिंस मुख्य यान में रहे।
नील ने चंद्रमा पर कदम रखते हुए कहा, “ये मानवजाति के लिए छोटा सा कदम लेकिन महान छलांग है।”
ईगल लूनर मॉड्यूल और चंद्रमा पर उतरना
अपोलो 11 का लॉन्च वजन 45,702 किलोग्राम था। चंद्रमा पर उतरने का वजन 4,932 किलोग्राम था। इस मिशन की कुल अवधि 8 दिन, 3 घंटे, 18 मिनट और 35 सेकंड थी।
नील और बज़ लगभग दो घंटे चंद्रमा पर बिताए। उन्होंने लगभग 21.55 किलोग्राम वजन की चट्टानें और मिट्टी एकत्रित की।
अपोलो-11 मिशन के दौरान, अंतरिक्षयात्रियों ने चंद्रमा पर 106 चीजें छोड़ीं। इसमें लूनर मॉड्यूल डिसेंट स्टेज, अमेरिकी झंडा, टीवी कैमरा और आर्म रेस्ट्स शामिल थे।
इस मिशन के दौरान, ऊर्जावानिय निक्षेप एडविन अल्ड्रिन ने पहले शब्द “कॉन्टैक्ट लाइट” बोले।
chand par sabse pehle kaun gaya
चंद्रमा पर पहली बार कदम रखने का इतिहास 20 जुलाई 1969 को हुआ। अमेरिका के अपोलो 11 मिशन के नील आर्मस्ट्रांग ने यह काम किया। उनके साथ बज़ एल्ड्रिन और माइकल कॉलिंस भी थे।
आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा पर कदम रखा, जिससे उन्हें इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान मिला। उनका यह कदम “मानवजाति के लिए छोटा सा कदम लेकिन महान छलांग” कहा जाता है।
चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने वाले केवल चार देश हैं। अमेरिका, सोवियत संघ, चीन और भारत हैं। अमेरिका ने सबसे ज्यादा 12 व्यक्तियों को चंद्रमा पर भेजा है।
भारत ने भी चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने का प्रयास किया है। चंद्रयान-1 (2008) और चंद्रयान-2 (2019) के माध्यम से उन्होंने यह काम किया। लेकिन चंद्रयान-2 नरम लैंडिंग में असफल रहा।
भारत का चंद्रयान-3 मिशन 14 जुलाई 2023 को लॉन्च हुआ था। 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नरम लैंडिंग कर सफल हुआ। इस प्रयास से भारत पहला देश बन गया जिसने ऐसा किया।
चंद्रमा पर मानव पहुंचने का सपना कई वर्षों से था। अब ध्यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर है। यहां के कम तापमान और जल के कारण यह क्षेत्र विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
पुरस्कार और सम्मान
नील आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा पर जाने के लिए कई पुरस्कार प्राप्त किए। राष्ट्रपति निक्सन ने उन्हें प्रेसिडेंटल मेडल ऑफ फ्रीडम से सम्मानित किया। १९७८ में, राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने उन्हें कॉंग्रेसनल स्पेस मेडल ऑफ ऑनर दिया। २००९ में, कॉंग्रेस ने उन्हें कॉंग्रेसनल गोल्ड मेडल से सम्मानित किया।
भारत में खेलों के क्षेत्र में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार सबसे बड़ा सम्मान है। इसकी नकद राशि पहले ७.५ लाख रुपये थी, लेकिन अब २५ लाख रुपये हो गई है। पहली बार इस पुरस्कार को १९९१-९२ में विश्वनाथन आनंद को दिया गया था।
इसके बाद, रोहित शर्मा, मैरी कॉम, मानिका बत्रा, विनेश फोगाट और रानी रामपाल जैसे खिलाड़ियों को भी यह सम्मान मिला है।
नील आर्मस्ट्रांग को उनकी चंद्रमा पर पहुंचने और इस अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया।
पुरस्कार | वर्ष | प्राप्तकर्ता |
---|---|---|
प्रेसिडेंटल मेडल ऑफ फ्रीडम | – | नील आर्मस्ट्रांग |
कॉंग्रेसनल स्पेस मेडल ऑफ ऑनर | 1978 | नील आर्मस्ट्रांग |
कॉंग्रेसनल गोल्ड मेडल | 2009 | नील आर्मस्ट्रांग |
मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार | 1991-92 | विश्वनाथन आनंद |
बाद के वर्ष
नौसेना से लौट कर, नील आर्मस्ट्रांग ने अपनी पढ़ाई पुरूडु यूनिवर्सिटी में जारी रखी। १९५५ में उन्हें एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में विज्ञान स्नातक (बी॰एस॰) की उपाधि मिली। १९७० में, उन्होंने एयरोस्पेस इंजिनियरिंग में परास्नातक की उपाधि साउथ कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी से प्राप्त की।
इसके बाद, उन्हें कई विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट की उपाधियाँ मिलीं।
शिक्षा, करियर और निधन
२५ अगस्त २०१२ को नील आर्मस्ट्रांग का निधन ८२ वर्ष की उम्र में हुआ। उनके जीवन के अंतिम वर्षों में, वे शिक्षा और विश्वविद्यालयों से जुड़े रहे।
वे प्रोफेसर और कई प्रतिष्ठित पदों पर कार्यरत थे। १९९० के दशक में, उन्होंने एक प्रमुख कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में भाग लिया।
नील आर्मस्ट्रांग का जीवन और उपलब्धियाँ हमेशा गर्व और प्रेरणा का स्रोत रहेंगे।
व्यक्ति | जन्म तारीख | उम्र | निधन तारीख |
---|---|---|---|
नील आर्मस्ट्रांग | 5 अगस्त, 1930 | 82 वर्ष | 25 अगस्त, 2012 |
एडविन बज एल्ड्रिन | 20 जनवरी, 1930 | 93 वर्ष | जीवित |
चार्ल्स कॉनराड | – | – | 8 जुलाई, 1999 |
ऐलन बीन | 15 मार्च, 1932 | 86 वर्ष | 26 मई, 2018 |
एलन बी शेफर्ड | 18 नवंबर, 1923 | – | 21 जुलाई, 1988 |
एडगर मिशेल | 15 मार्च, 1932 | 86 वर्ष | 4 फरवरी, 2016 |
जिम इरविन | – | – | 8 अगस्त, 1991 |
जॉन वाट्स यंग | 24 सितंबर, 1930 | 87 वर्ष | 5 जनवरी, 2018 |
चार्ल्स एम ड्यूक | 3 अक्टूबर, 1935 | 87 वर्ष | – |
हैरिसन श्मिट | 3 जुलाई, 1935 | 88 वर्ष | – |
केवल १२ अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर कदम रख पाए हैं। नील आर्मस्ट्रांग पहले व्यक्ति थे जिन्होंने २० जुलाई १९६९ को चंद्रमा पर कदम रखा।
अंतरिक्ष यात्रा के इतिहास में ११ अपोलो मिशन सफलतापूर्वक पूरे हुए। इनमें २७ अंतरिक्ष यात्रियों ने भाग लिया।
“नील आर्मस्ट्रांग का जीवन और उपलब्धियाँ हमेशा उनके देशवासियों के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।”
चंद्रमा पर मानव संचरण का महत्
चंद्रमा पर मानव का पहला कदम एक ऐतिहासिक घटना है। यह मानवता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नील आर्मस्ट्रांग के इस उपलब्धि को अमेरिकी अंतरिक्ष प्रोग्राम अपोलो 11 की सफलता के रूप में जाना जाता है।
इस मिशन में लगभग 4 लाख लोगों ने हाथ बंटाया। इसमें अंतरिक्ष यात्री से लेकर मिशन नियंत्रक, कैटरर्स, इंजीनियर, वैज्ञानिक, नर्स, डॉक्टर, गणितज्ञ और प्रोग्रामर शामिल थे।
चंद्रमा पर मानव संचरण से वैज्ञानिक दृष्टि से भी कई महत्वपूर्ण खोजें हुई हैं। भारत ने 2008 में चंद्रयान-1 मिशन शुरू किया। इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह का विस्तृत मैपिंग, पानी और हीलियम की खोज करना था।
मिशन अधिक से अधिक जानकारी एकत्र करने में सफल रहा। यह चंद्रमा पर मानव संचरण के महत्व को रेखांकित करता है।
चंद्रमा पर मानव संचरण का महत्व इस बात से भी प्रकट होता है। इस उपलब्धि को हासिल करने में लाखों लोगों ने अपना योगदान दिया।
नील आर्मस्ट्रांग ने स्वयं इस उपलब्धि का श्रेय अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों और तकनीकी विशेषज्ञों को दिया। इस प्रकार चंद्रमा पर मानव संचरण मानवता की महान उपलब्धि है। यह अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में नई संभावनाएं खोलता है।